SSC JINEDPUR
8227045409
✅ कक्षा 12 रसायनशास्त्र: परिभाषाएँ (NCERT आधारित)
कृपया यथा संभव अपने नोट बुक का परिभाषा ही लिखें...।
विलयन (Solutions)
| क्र.सं. |
शब्द |
सरल एवं विस्तृत परिभाषा |
| 1. | विलयन | दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण जिसमें मिश्रण के सभी भागों का संघटन और गुण एक समान होते हैं। उदाहरण के लिए, पानी में नमक का घोल। |
| 2. | विलायक | विलयन का वह घटक जिसकी मात्रा सबसे अधिक होती है और जो दूसरे पदार्थ को अपने अंदर घोलता है। |
| 3. | विलेय | विलयन का वह घटक जो कम मात्रा में होता है और जो विलायक में घुल जाता है। |
| 4. | द्विअंगी विलयन | वह विलयन जो केवल दो घटकों (एक विलेय और एक विलायक) से मिलकर बना होता है। |
| 9. | संतृप्त विलयन | किसी निश्चित तापमान पर विलायक की दी गई मात्रा में बना वह विलयन जिसमें और अधिक विलेय को घोला नहीं जा सकता। यदि और विलेय मिलाया जाए तो वह घुलने के बजाय नीचे बैठ जाता है। |
| 15. | मोलरता ($\mathbf{M}$) | एक लीटर (1 L) विलयन में उपस्थित विलेय के मोलों की संख्या को मोलरता कहते हैं। यह सांद्रता की माप है और तापमान बदलने पर इसका मान बदल जाता है। |
| 16. | मोललता ($\mathbf{m}$) | एक किलोग्राम (1 kg) विलायक में उपस्थित विलेय के मोलों की संख्या को मोललता कहते हैं। यह द्रव्यमान पर आधारित होने के कारण तापमान पर निर्भर नहीं करती है। |
| 17. | मोल अंश ($\mathbf{x}$) | विलयन में किसी एक घटक के मोलों की संख्या और विलयन के सभी घटकों के कुल मोलों की संख्या का अनुपात। यह दर्शाता है कि किसी घटक का कुल मोलों में कितना भाग है। |
| 19. | वाष्प दाब | किसी निश्चित तापमान पर, जब द्रव और उसकी वाष्प साम्यावस्था में होती है, तो वाष्प द्वारा द्रव की सतह पर डाला गया दाब। |
| 20. | आदर्श विलयन | वह विलयन जो सांद्रता और तापमान की सभी सीमाओं पर राउल्ट के नियम का पूरी तरह पालन करता है। आदर्श विलयन बनाने पर न तो ऊष्मा निकलती है न अवशोषित होती है (ΔHmix = 0) और न ही आयतन में परिवर्तन होता है (ΔVmix = 0)। |
| 24. | अर्द्ध पारगम्य झिल्ली ($\text{SPM}$) | एक पतली झिल्ली जिसमें बहुत छोटे छिद्र होते हैं, जो केवल विलायक के अणुओं को तो पार करने देती है, लेकिन विलेय के बड़े अणुओं को रोकती है। |
| 25. | परासरण | अर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होते हुए विलायक के अणुओं का कम सांद्रता वाले विलयन से अधिक सांद्रता वाले विलयन की ओर अपने आप होने वाला प्रवाह। |
| 26. | परासरण दाब ($\pi$) | वह न्यूनतम अतिरिक्त दाब जो परासरण की प्रक्रिया को रोकने के लिए विलयन पर लगाया जाता है। यह विलेय कणों की संख्या पर निर्भर करता है (अणुसंख्यक गुणधर्म)। |
| 30. | वान्ट हॉफ गुणांक ($\mathbf{i}$) | विलेय के अणुओं के संयोजन (जुड़ने) या वियोजन (टूटने) के प्रभाव को मापने वाला कारक। यह अणुसंख्यक गुणधर्मों के प्रेक्षित मान और सैद्धांतिक मान का अनुपात होता है। |
| 33. | प्रतिलोम परासरण ($\text{RO}$) | विलयन पर उसके परासरण दाब से अधिक बाहरी दाब लगाकर, विलायक के अणुओं (पानी) को अधिक सांद्रता वाले क्षेत्र से कम सांद्रता वाले क्षेत्र की ओर धकेलना। (पानी शुद्ध करने की प्रक्रिया)। |
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रासायनिक बलगतिकी (Chemical Kinetics)
| क्र.सं. |
शब्द |
सरल एवं विस्तृत परिभाषा |
| 34. | रासायनिक बलगतिकी | रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसमें रासायनिक अभिक्रियाओं की गति (दर) और उस गति को प्रभावित करने वाले कारकों (जैसे तापमान, सांद्रता) का अध्ययन किया जाता है। |
| 38. | अभिक्रिया की दर | समय के साथ अभिकारक या उत्पाद की सांद्रता में होने वाला परिवर्तन। इसे अभिकारक की सांद्रता घटने की दर या उत्पाद की सांद्रता बढ़ने की दर के रूप में मापा जाता है। |
| 42. | अभिक्रिया की कोटि | अभिक्रिया की दर को व्यक्त करने वाले समीकरण (दर नियम) में अभिकारकों की सांद्रता की घातों का योगफल। यह हमेशा प्रायोगिक रूप से ज्ञात की जाती है। |
| 43. | प्रथम कोटि की अभिक्रिया | वह अभिक्रिया जिसकी दर केवल एक अभिकारक की सांद्रता के प्रथम घात पर निर्भर करती है। इसका अर्धायु काल (t1/2) प्रारंभिक सांद्रता पर निर्भर नहीं करता। |
| 48. | शून्य कोटि | वह अभिक्रिया जिसकी दर अभिकारकों की सांद्रता में परिवर्तन से स्वतंत्र होती है। अर्थात्, अभिकारक की सांद्रता बदलने पर भी दर नहीं बदलती है। |
| 49. | अर्धायु काल ($\mathbf{t_{1/2}}$) | वह समय जिसमें अभिकारक की सांद्रता घटकर उसकी प्रारंभिक सांद्रता की ठीक आधी रह जाती है। |
| 51. | अभिक्रिया की आण्विकता | किसी साधारण (एक-पदीय) अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारक अणुओं की संख्या। यह एक सैद्धांतिक मान है, जो 1, 2 या 3 हो सकता है। |
| 53. | सक्रियण ऊर्जा ($\mathbf{E_a}$) | वह अतिरिक्त ऊर्जा जो अभिकारक अणुओं को उत्पाद बनाने से पहले आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा (देहली ऊर्जा) तक पहुंचने के लिए दी जानी चाहिए। |
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विद्युत रसायन (Electrochemistry)
| क्र.सं. |
शब्द |
सरल एवं विस्तृत परिभाषा |
| 54. | विद्युत रसायन | रसायन विज्ञान की वह शाखा जो रासायनिक ऊर्जा और विद्युत ऊर्जा के एक-दूसरे में परिवर्तन और उनके बीच के संबंधों का अध्ययन करती है। |
| 57. | गैल्वेनिक सेल | एक ऐसा सेल जो स्वतः होने वाली रासायनिक अभिक्रिया (रेडॉक्स अभिक्रिया) से मुक्त ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। (जैसे बैटरी)। |
| 59. | मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड ($\text{SHE}$) | एक संदर्भ इलेक्ट्रोड जिसका मानक विभव (E°) सभी ताप पर शून्य वोल्ट माना गया है। इसका उपयोग अन्य इलेक्ट्रोडों के विभव को मापने के लिए किया जाता है। |
| 60. | सेल का विद्युत वाहक बल ($\text{EMF}$) | जब सेल से कोई विद्युत धारा नहीं ली जाती है, तब उसके दोनों इलेक्ट्रोडों के बीच के विभवों का अधिकतम अंतर। |
| 62. | मानक इलेक्ट्रोड विभव ($\mathbf{E}^\\circ$) | $298 \text{ K}$ ताप पर, $1 \text{ M}$ सांद्रता वाले इलेक्ट्रोलाइट विलयन में, इलेक्ट्रोड और इलेक्ट्रोलाइट के बीच उत्पन्न विभव। |
| 63. | लवण सेतु (Salt Bridge) | गैल्वेनिक सेल के दो अर्ध-सेलों को जोड़ने वाली $\text{U}$-आकार की नली जो आयनों का प्रवाह करके विद्युत उदासीनता बनाए रखती है। |
| 66. | विशिष्ट चालकता ($\kappa$) | यह किसी पदार्थ के विशिष्ट प्रतिरोध (ρ) का व्युत्क्रम है। यह किसी इलेक्ट्रोलाइट विलयन की विद्युत प्रवाहित करने की क्षमता को दर्शाती है। |
| 67. | मोलर चालकता ($\Lambda_m$) | $1 \text{ मोल}$ इलेक्ट्रोलाइट वाले विलयन की वह चालकता जब इलेक्ट्रोडों के बीच की दूरी इकाई हो। |
| 72. | द्वितीयक बैटरी | वह बैटरी जिसे उपयोग के बाद भी बिजली देकर पुनः आवेशित (recharge) किया जा सकता है, क्योंकि इसमें होने वाली रासायनिक अभिक्रिया उत्क्रमणीय होती है (दोनों दिशाओं में चल सकती है)। |
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ठोस अवस्था (Solid State)
| क्र.सं. |
शब्द |
सरल एवं विस्तृत परिभाषा |
| 80. | क्रिस्टलीय ठोस | वे ठोस जिनमें घटक कणों की एक नियमित और दीर्घ परासी (long-range) त्रिविमीय व्यवस्था होती है। इनका गलनांक निश्चित होता है (जैसे नमक, हीरा)। |
| 81. | अक्रिस्टलीय ठोस | वे ठोस जिनमें घटक कणों की व्यवस्था केवल अनियमित और लघु परासी (short-range) होती है। इनका गलनांक निश्चित नहीं होता, इसलिए इन्हें आभासी ठोस या अतिशीतित द्रव भी कहते हैं (जैसे काँच, रबड़)। |
| 89. | एकल कोष्ठिका | क्रिस्टल जालक की वह सबसे छोटी पुनरावृत्ति इकाई, जिसे तीन विमाओं (x, y, z) में बार-बार दोहराने पर संपूर्ण क्रिस्टल जालक का निर्माण होता है। |
| 101. | संकुलन क्षमता | किसी क्रिस्टल जालक के कुल आयतन का वह प्रतिशत भाग जो घटक कणों (परमाणुओं, अणुओं या आयनों) द्वारा वास्तव में भरा हुआ होता है। |
| 105. | शॉटकी दोष | आयनिक ठोसों में वह दोष जिसमें जालक स्थलों से समान संख्या में धनायन और ऋणायन गायब हो जाते हैं। इससे क्रिस्टल की उदासीनता बनी रहती है, लेकिन उसका घनत्व कम हो जाता है। |
| 106. | फ्रेंकल दोष | आयनिक ठोसों में वह दोष जिसमें एक आयन (प्रायः छोटा धनायन) अपना मूल जालक स्थल छोड़कर अंतराकाशी स्थल पर चला जाता है। यह घनत्व को अपरिवर्तित रखता है। |
| 118. | अणुचुंबकीय पदार्थ | वे पदार्थ जो बाह्य चुंबकीय क्षेत्र द्वारा कमजोर रूप से आकर्षित होते हैं। यह उनके अणुओं या परमाणुओं में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन (Unpaired Electrons) की उपस्थिति के कारण होता है। |
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धातुक्रम और कार्बनिक रसायन
| क्र.सं. |
शब्द |
सरल एवं विस्तृत परिभाषा |
| 127. | अयस्क | वह खनिज जिससे किसी धातु का निष्कर्षण आर्थिक रूप से लाभदायक और सरल तरीके से किया जा सकता है। |
| 128. | गैंग या मैट्रिक्स | अयस्क में उपस्थित अवांछित अशुद्धियाँ (जैसे मिट्टी, रेत, चट्टानी पदार्थ)। सांद्रण प्रक्रिया द्वारा इन्हें अलग किया जाता है। |
| 131. | धातुक्रम | अयस्कों से शुद्ध धातु प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली सभी वैज्ञानिक और तकनीकी प्रक्रियाओं (जैसे सांद्रण, निष्कर्षण, शुद्धिकरण) को सामूहिक रूप से धातुक्रम कहते हैं। |
| 132. | फेन प्लवन विधि | यह मुख्य रूप से सल्फाइड अयस्कों के सांद्रण के लिए उपयोग की जाने वाली विधि है, जो अयस्क कणों और गैंग कणों के गीलेपन में अंतर के सिद्धांत पर आधारित है। |
| 136. | निस्तापन | अयस्क को वायु की अनुपस्थिति या सीमित मात्रा में, उसके गलनांक से कम तापमान पर गर्म करना। (मुख्यतः कार्बोनेट और हाइड्रॉक्साइड अयस्कों से वाष्पशील अशुद्धियाँ हटाने के लिए)। |
| 137. | भर्जन या जारण | अयस्क को वायु की उपस्थिति में, उसके गलनांक से कम तापमान पर गर्म करना। (मुख्यतः सल्फाइड अयस्कों को उनके ऑक्साइड में बदलने के लिए)। |
| 148. | हाइड्रोकार्बन | वे सभी कार्बनिक यौगिक जो केवल कार्बन (C) और हाइड्रोजन (H) परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं। |
| 150. | ऐल्केन | वे संतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एकल बंध होते हैं। इनका सामान्य सूत्र CnH2n+2 होता है। |
| 152. | ऐल्कीन | वे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन परमाणुओं के बीच कम से कम एक द्वि-बंध होता है। इनका सामान्य सूत्र CnH2n होता है। |
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